तमिल वेद
संत तिरुवल्लुवर
मूल्य: 45.00 रुपए
यह पुस्तक दक्षिण भारत के महान संत तिरुवल्लुवर द्वारा रचित ‘तिरुवलुरल’ का भावानुवाद है। मूल रूप से यह तमिल भाषा में लिखी गई थी। आध्यात्मिक जगत के महान चिंतक तथा विख्यात लेखक स्व. चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य इससे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने तमिल से इसका अंग्रेजी में रूपांतरण किया। पुस्तक को मुख्यतः तीन खंडों में विभाजित किया गया है। पहला खंड है – धर्म, दूसरा अर्थ और तीसरा विविध। इन तीनों खंडों के अंतर्गत उन सब विषयों को ले लिया गया है, जिनका संबंध मानव-चरित्र से है। प्रेम, मृदु भाषण, कृतज्ञता, सदाचार, क्षमा, निर्लोभता, अहिंसा, त्याग आदि ऐसे मानवोचित गुण हैं, जो प्रत्येक प्राणी के लिए आवश्यक हैं।इसी प्रकार शिक्षा, बुद्धि, सोच-विचार कर काम करना, अवसर का उपयोग करना आदि-आदि बातों की सबके लिए उपयोगिता है।
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