प्रसिद्ध उड़िया तथा अंग्रेजी लेखक मनोज दास आधुनिक भारतीय साहित्य के निर्माताओं में अग्रगण्य हैं। उनकी कहानियाँ भारत के अलावा विश्व की प्रमुख भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं। मराठी के प्रसिद्ध नाटककार विजय तेंडुलकर ने ठीक ही कहा है कि “मनोज दास ग्राम ग्रीन और आर.के. नारायण की भाँति कुशल किस्सागो हैं। उनकी शैली सरल है। और मातृभाषा नहीं होते हुए भी उनकी अंग्रेजी सहज संप्रेषणीय है।”
प्रस्तुत पुस्तक ‘स्वर्ण-घाटी की जनगाथा’ किशोर तथा बाल पाठकों को ध्यान में रखकर लिखी गई एक अप्रतिम कृति है। यह पुस्तक उनकी अंग्रेजी कृति ‘लिजेंड ऑफ द गोल्डेन वेली’ का अनुवाद है। आज का किशोर ही कल का वयस्क नागरिक है। ये कहानियाँ मनोरंजन के साथसाथ बालकों के मानसिक विकास और जीवन मूल्यों के ग्रहण की सीख भी देती हैं। समग्रता में ये कहानियाँ हर वर्ग के पाठकों के लिए जरूरी है। जो धरती और प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं।
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