Unmad/उन्माद-भगवान सिंह

RS:

220500
198450

502 People watching this product now!

Author: BHAGWAN SINGH
Pages: 444
Language: Hindi
Year: 2014
Binding: Both

Fully
Insured

Ships
Nationwide

Over 4 Million
Customers

100%
Indian Made

Century in
Business

Book Description

उन्माद 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

भगवान सिंह जी का यह उन्माद’ शीर्षक उपन्यास मानव मन की अनेक पर्ती को खोलता है। फ्रायड के मनोविश्लेषण का इस पर असर है और यह मानव मन के भीतरी दबावों-तनावों को सामने लाने में सक्षम है। किताबों में व्यस्त रहने वाला पति अपनी गुणज्ञ पत्नी के गुणों का सम्मान नहीं कर पाता। परिणाम यह होता है कि पति-पत्नी का समर्पण अधूरा-अतृप्त रहता है। ‘भाभीजी’ जैसा पात्र यह ग्रंथि पालकर जी रहा है कि इस घर में कोई ‘इज्जत’ ही नहीं है। कितना ही घर को सँभालो हर स्थिति के बाद बेइज्जती। मनोरुग्णता ने इस उपन्यास के अधिकांश पात्रों को घेरा हुआ है। पी-एच.डी. के शोध का विषय ‘मनोरुग्ण प्राणियों का परिवेश और उसका प्रभाव। उपन्यास का आरंभ इसी संकेतात्मक व्यंजना से होता है। धीरे-धीरे उपन्यास मानव मन की जटिलताओं में धंसता-जूझता मिलता है और भक्ति रस का । विरेचन प्रभाव भी पाठक के मन को कई तरह से झटके देता है।

इस मनोविश्लेषणात्मक उपन्यास में जीवन के पके अनुभवों को कमाये सत्यों की प्रतीकात्मक कथा में परोस दिया गया है। चमत्कृत करना भगवान सिंह का उद्देश्य नहीं रहा है, हाँ, जीवन को कई कोणों से प्रस्तुत करना ही उन्हें भाया है। हिंदी उपन्यास साहित्य में इस तरह की अंतर्वस्तु पर बहुत कम उपन्यास लिखे गए हैं। अपने क्षेत्र का यह ऐसा ही अद्भुत उपन्यास है।

You May Be Interested In…

Customer Reviews

0 reviews
0
0
0
0
0

There are no reviews yet.

Be the first to review “Unmad/उन्माद-भगवान सिंह”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You have to be logged in to be able to add photos to your review.