मोगरा फूला
यह मराठी के विख्यात लेखक श्री खांडेकर के एक अत्यंत हृदय-स्पर्शी उपन्यास का हिंदी अनुवाद है। इस उपन्यास की कथा वैसे सामाजिक है और उसमें इतना कौतूहल, भावनाओं का इतना उतार-चढ़ाव और इतनी संवेदनशीलता है कि पाठक उसे पढ़ते-पढ़ते विभोर हो उठते हैं। ऐसा प्रतीत होता है, मानो उपन्यासकार ने मानव के अंतर को इस कृति में खोलकर रख दिया है। खांडेकर जी की लेखन शैली बड़ी प्रभावशाली है। उनके एक अन्य उपन्यास पर उन्हें भारतीय ज्ञानपीठ का एक लाख रुपए का पुरस्कार प्राप्त हुआ था। प्रस्तुत उपन्यास का अनुवाद इतना सुंदर हुआ है कि पढ़ने में मूल का सा आनंद आता है।
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