तंदुरुस्ती हज़ार नियामत
इस किताब के पहले खंड में बताया गया है कि हमारा यह शरीर कैसे बना है और हम किस तरह से तन्दुरुस्त रह सकते हैं। इस खंड की सामग्री पढ़कर जहां शरीर की जानकारी होती है, वहां यह भी पता चलता है कि आदमी का तन्दुरुस्त रहना उसके हाथ की बात है। दूसरे खंड में बताया गया है कि सावधानी रखने पर भी यदि रोग हो जाय तो किस प्रकार घरेलू इलाज द्वारा, बिना खर्च के या थोड़े-से-थोड़े खर्च में, उससे छुटकारा पा सकते हैं। गांधीजी प्राकृतिक चिकित्सा के बड़े प्रेमी थे, उन्होंने उस संबंध में बहुत-कुछ लिखा। उनकी पुस्तक ‘आरोग्य साधन’ अपने ढंग की निराली पुस्तक है। उसमें उन्होंने वे सब बातें बड़े सरल-सुबोध ढंग से समझाई हैं, जो तन्दुरुस्त रहने के लिए विशेष आवश्यक है।
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