Aao Vicharen Aaj Milkar/आओ विचारे आज मिलकर

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ISBN: 978-81-7309-3
Pages: 99
Edition: Fifth
Language: Hindi
Year: 2009
Binding: Paper Back

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Book Description

आओ विचारे आज मिलकर

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

सस्ता साहित्य मण्डल को हिन्दी साहित्य के जाने-माने प्रसिद्ध लेखक डॉ. विजय बहादुर सिंह की पुस्तक ‘आओ विचारें आज मिलकर’ प्रकाशित करते हुए बड़ा हर्ष हो रहा है।

डॉ. विजय बहादुर ने इस पुस्तक में छोटे-छोटे लेखों द्वारा अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा है कि जिन लोगों ने आधुनिकता के प्रश्न को परम्परा से जोड़कर उठाने की मांग की, उनकी उस बहाल को भी हमने चुनौती की तरह मंजूर नहीं किया? एक सार्थक अवधारणा के रूप में समझने की कोई कोशिश तक नहीं की। आज स्थिति यह है कि इतने स्वनामधन्य लेखकों और युवा प्रतिभाओं के बावजूद साहित्य के खाते में कोई भी ऐसी केन्द्रीय निर्णायक बहस नहीं है जिससे हम अपने समय की ठीक से पहचान कर, उसके प्रति अपना रवैया तय कर सकें। हम लेखकों को अपने से यह पूछने की जरूरत आ पड़ी है कि भारतीय समाज के बारे में हमारी अवधारणा और सोच क्या है?

यह पुस्तक उन विचारों की खोज की एक कोशिश है जो उन्नीसवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी के गांधी युग तक समूचे भारत को साथ ही समकालीन संसार को अपने प्रकाश से आंदोलित किये हुए थे।

आज हम फिर चकाचौंधकारी सभ्यताओं की गुलामी में फंस गए हैं। चूंकि यह पहली की तुलना में अधिक गहरी और सूक्ष्म है, इसलिए अधिक जटिल, भयावनी और विडम्बनापूर्ण भी। चुनौतीपूर्ण तो खैर है ही। हमारे शब्दों के अर्थ ही, आज नहीं बदले हैं, हमारी चेतना की आधार भूमियां भी बदल गई हैं। एक बड़े समाज विज्ञानी का यह कहना गलत नहीं है कि हम किसी और के संसार में रहने लगे हैं।

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