अछूत मतवाद के सच गाँधी और अंबेडकर
गांधी और अंबेडकर दोनों आधुनिक भारत की ऐसी विभूतियाँ हैं। जिनके विचारों ने भारतीय जन-मानस को सर्वाधिक प्रभावित किया है। वर्णव्यवस्था और छुआछूत से मुक्ति दोनों महानायकों का स्वप्न था और इस क्रम में उन्होंने प्रयास भी किए। यह अलग बात है कि इस संदर्भ में दोनों की दृष्टियाँ अलग थीं और कार्य पद्धति भी। परंतु दोनों का उद्देश्य समान था। डॉ. विवेकानंद तिवारी की यह पुस्तक गांधी और अंबेडकर की दृष्टि तथा कार्यकलाप का तटस्थतापूर्वक मूल्यांकन करती है। इसके साथ ही लेखक अस्पृश्यता विरोधी आंदोलन को संत आंदोलन से जोड़ते हुए उसे पूर्व पीठिका के रूप में प्रस्तुत करते हैं। इस प्रकार यह पुस्तक अस्पृश्यता मुक्ति आंदोलन का इतिहास भी प्रस्तुत करती है। लेखक के निष्कर्ष और दृष्टि से सहमत या असहमत होना पाठकीय स्वतंत्रता है परंतु जिस परिश्रमपूर्वक लेखक ने इन सामग्रियों को इकट्ठा किया है वह श्रमसाध्य है साथ ही लेखकीय प्रतिबद्धता का प्रमाण भी। आशा है इस प्रकार के अध्ययन के माध्यम से इतिहास का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन संभव हो सकेगा और नई पीढ़ी के अध्येताओं के लिए पाथेय भी।
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