यह ‘अमृतफल’ जिस विभूति का वाहक है, एक दिन स्वाभाविक रूप से वह विभूति मनुष्य को प्राप्त होगी। जीवन के शत्रु, प्रेम के शत्रु इस मृत्यु पर विजय पाने के लिए मनुष्य का अध्यवसायी अभियान चलता ही रहेगा, लेकिन यह अभियान तब सफल होगा जब उसकी चेतना में विजय की अवधारणा एक विश्वास का रूप ले लेगी। इस उपन्यास का अनुवाद सुधा जी ने बड़ी ही मनोरम शैली और सरल भाषा में किया है, जो पढ़ने में बहुत ही रोचक लगता है। इसमें नर्तकी द्वारा राजा भर्तृहरि को अमृतफल दिए जाने का प्रसंग पाठक को सदा याद रहेगा और इस उपन्यास को पढ़कर निश्चय ही एक नया आस्वाद प्राप्त होगा।
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Amritphal (PB)
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ISBN : 978-81-7309-3
Pages: 192
Edition: Fifth
Language: Hindi
Year: 2009
Binding: Paper Back
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