अपरिगृह और अनाशक्ति
मानव जीवन में सबसे अधिक महत्व इस बात का है कि व्यक्ति अपनी आवश्यकता के अनुसार वस्तुओं को अपने पास सीमित रखे और उनमें भी किसी प्रकार की आसक्ति न रखे। परिग्रह का अर्थ है आसक्ति। हम में से अधिकांश व्यक्ति अपार धन संपदा एकत्र करते हैं और उसी में अपने जीवन की सफलता मानते हैं। इससे बड़ा भ्रम और कोई हो नहीं सकता। वस्तु नाशवान है। वह कभी किसी के पास स्थायी रूप से नहीं रहती। इस पुस्तक का मुख्य उद्देश्य समाज और राष्ट्र के चरित्र को समुन्नत करना है।
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