भाग्य की बलिहारी
हमारे लोक-जीवन में लोक-कथाओं का बहुत ही महत्त्वपर्ण स्थान है। आज भी देहातों में एक व्यक्ति कहानी कहता है और कुछ लोग उसके इर्द-गिर्द बैठकर बड़े चाव से कहानी सुनते हैं। कभी-कभी तो एक-एक कहानी कई-कई रात तक चलती है। क्या मजाल कि सुननेवाले ऊब जाएं। उन कहानियों में कौतूहल-भरी चीजों के साथ-साथ पुराने जमाने की बड़ी सजीव तथा मनोरंजक झांकी मिलती है। हिंदी और उसके परिवार की जनपदीय भाषाओं में इन कथाओं का अनंत भंडार है। हिंदी के पाठक उनसे परिचित हो सकें, इस उद्देश्य से हमने लोक-कथाओं की एक पुस्तक-माला प्रकाशित की है। इस पुस्तक में राजस्थान की कुछ लोक-कथाएं चुनकर दी हैं। हमें विश्वास है कि पाठकों को इन कहानियों को पढ़ने में बड़ा आनंद आएगा।
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