Chal Hansha Va Desh
$2 – $4
Author: EKANT SHRIVASTAVA
Pages: 166
Language: Hindi
Year: 2015
Binding: Both
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Description
कविवर एकांत श्रीवास्तव हिंदी साहित्य का एक विशिष्ट नाम है। एक प्रसिद्ध पत्रिका ‘वागर्थ’ के संपादक के रूप में उन्होंने विशेष ख्याति अपनी संपादन-कला से अर्जित की है। वे कवि हैं, इसलिए कौतूहल से जिज्ञासाओं को लेते हैं। उनकी कल्पना की रूपविधायिनी शक्ति में मूर्त-विधान रचने की क्षमता है। देश हो या विदेश, वे बड़े निमग्नभाव से चीजों को ग्रहण करते हैं-वस्तु, प्रसंग, व्यक्ति से साधारणीकरण करने में उन्हें आनंद आता है। इस यात्रा संस्मरण से ऐसा लगता है कि एकांत श्रीवास्तव अपने देश वापस लौटकर भी वापस नहीं लौटे हैं। वे एक अंतराल में हैं। अंतराल के एक छोर पर अनुभवों का पुलिंदा है और मिथकों का खेल। वर्तमान अनुभव की वास्तविकता में प्राचीन रूस और नवीन उज्बेकिस्तान की यात्रा के बाद एक लंबा लेख लिखा। इस लेख को प्रबुद्ध पाठकों ने कथन की सर्जनात्मकता के कारण बहुत सराहा। सन् 2013 में एकांत श्रीवास्तव यूरोप यात्रा पर निकल पड़े और यात्रा-वृत्तांत लिखे बिना चैन से नहीं बैठे। स्मृति से काम लिया और जीवन का दरवाजा तब तक खटखटाते रहे जब तक सत्य निकलकर बाहर खड़ा नहीं हो गया। यहाँ यात्रा का वर्तमान एक जादू है जो स्मृति को संभावना बना देता है। वे तनाव दोनों का महसूस करते हैंलेकिन लगाव-ललक वर्तमान से ज्यादा है। इस दृष्टि से वर्तमान का खुलापन इन यात्रा संस्मरणों की शक्ति कहा जा सकता है। वास्तविकता यह है कि सर्जनात्मकता एकांत श्रीवास्तव के लिए धड़कते वर्तमान में ही है। देखा हुआ ही उन्हें बार-बार रचने को प्रेरित करता है।
भागती-गाती यात्रा के दौड़ते-भागते क्षण स्मृति में कौंधते हैं और समय इनमें चक्कर खाता है। एकांत श्रीवास्तव ने नौ-दस महीनों में इन यात्रानिबंधों का लेखन किया-हर महीने एक निबंध। ‘वागर्थ’ पत्रिका में ये निबंध जुलाई 2013 से मार्च 2014 तक नौ अंकों में प्रकाशित है। पाठकों ने इन निबंधों की बिंबधर्मी कला को सराहा भी। ‘चले हंसा का, देश’ शीर्षक से उन्होंने यह यूरोप डायरी लिखी है।
Additional information
Weight | 200 g |
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Dimensions | 14,2 × 21,5 × 1,2 cm |
Book Binding | Hard Cover, Paper Back |
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