एक मारिशसवासी की हिंदी यात्रा
प्रस्तुत पुस्तक के लेखक से हिंदी के पाठक भलीभांति परिचित हैं। यद्यपि वह मारीशसवासी हैं, तथापि हिंदी के प्रति अनन्य निष्ठा के कारण उन्होंने हिंदी-जगत में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। बखोरी जी कई वर्षों से लिख रहे हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने देश में हिंदी भाषा और उसके साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए अथक परिश्रम किया है। विश्व हिंदी सम्मेलनों को सफल बनाने में उन्होंने जो महत्वपूर्ण भूमिका अदा की, उसे सहज ही भुलाया नहीं जा सकता। इस पुस्तक में उन्होंने अपने को निमित्त बनाकर अपनी इस कृति में मारीशस में हिंदी के विकास की कहानी दी है।
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.