कैलासी बाबा
विभा देवसरे लंबे समय से बाल साहित्य के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय हैं। नारी-विमर्श की नवजागरणवादी चेतना में उन्होंने बढ़-चढ़कर काम किया है। समय-समय पर बाल उपन्यास लिखकर बच्चों की मनोभूमि पर पाठकों के सामने अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने बच्चों के लिए बाल नाटक लिखे हैं। इस प्रकार वे बाल साहित्य के क्षेत्र में पूरे उत्साह से लगी रही हैं। उनकी यह पुस्तक ‘कैलासी बाबा’ बाल कथा संग्रह नए ढंग का कथा-प्रयोग है। बाल मन में गहराई से उतरनेवाली इन। कथा-कहानियों में विचार और संवेदना का सहज मेल है। एक प्रकृत भावभूमि पर स्थित इन कहानियों में आसपास के जीवनानुभव रोचक तथ्य जुटाते हैं। इसलिए इन कहानियों में कल्पना का कल्पित संसार न होकर जीवन जगत का अनुभव संसार कई छबियों-बिंबों-प्रतीकों के साथ मौजूद है। साथ ही दिलचस्प बात यह है इन कथाओं में बालकों को सुधार की ओर प्रवृत्त करने का नैतिक संवेदन है। यह अकाल्पनिक गद्य का संसार इन कथाओं को नई कथन-भंगिमाओं से समृद्ध करता है। यह समृद्ध कथा क्षेत्र हृदय-राग से संपन्न होने के कारण लुभावने कथा रस की इन कहानियों में सृष्टि करता है।
मैं ‘कैलासी बाबा’ बाल कथा संग्रह की इस कृति को पाठकों के हाथों-विशेषकर बाल जगत् में देते हुए विशेष तरह की प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूँ। मुझे विश्वास है कि पाठक समाज में इस कृति का हृदय से स्वागत होगा।
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