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साधना पथ
प्रस्तुत पुस्तक एक विशेष उद्देश्य को सामने रख कर तैयार की गई है। आज पाठकों को विभिन्न विधाओं का बहुत-सा साहित्य पढ़ने को मिलता है। वह ज्ञान में वृद्धि करता है, किन्तु वह संस्कार नहीं देता, जिससे मानव-जीवन धन्य होता है। यह पुस्तक इसी ध्येय की पूर्ति करती है। इसमें गीता, रामचरितमानस, विनय पत्रिका और सूरसागर के चुने हुए श्लोक, चौपाइयां आदि दी गई हैं, साथ ही नानक, दादू, नरसी, मीरा आदि भक्त-कवियों के पद भी दिये गये हैं। अपेक्षा रक्खी गई है कि पाठक इनका दैनिक स्वाध्याय करें।
पुस्तक की एक और भी विशेषता है और वह यह कि इसे पढ़ने से अन्य संत-साहित्य के अध्ययन की इच्छा पैदा होती है। इस प्रकार यह पुस्तक उस ऊर्ध्वगामी मार्ग को प्रशस्त करती है, जिस पर चल कर व्यक्ति को आत्म-कल्याण की उत्तरोत्तर प्रेरणा प्राप्त होती है।
पाठकों से हमारा अनुरोध है कि वे इस पुस्तक के स्वाध्याय के लिए प्रातः-सायं कुछ समय अवश्य निकालें और इसकी कुछ सूक्तियां कंठस्थ कर लें, ताकि रात को सोते समय और सवेरे उठते समय दोहराया जा सके।
संतों की वाणी का अपना महत्त्व होता है।
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