Shararat Ki Shaja/शरारत की सजा-शैल तिवारी

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Author: SHAIL TIWARI
Pages: 84
Edition:  1st (2015)(PB-HB)  & 2nd (2016) (HB)
Language: Hindi
Year: 2015-16
Binding: Both

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Book Description

शरारत की सजा 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

शैल तिवारी हिंदी कहानी के क्षेत्र का नया नाम है। उनकी कहानियों में आकस्मिक रूप से विविध जीवनानुभवों का सर्जनात्मक विस्फोट होता है। जीवन-जगत् की जटिल-संश्लिष्ट, सूक्ष्म वृत्तियों से वे अपने कथा-संसार का नया पाठ उठाती हैं। इसलिए इन कहानियों की सृष्टि में जीवन के राग-विराग की संवेदना पाठक से संवाद स्थापित करने में देर नहीं लगाती है। कहानी-कथा का संप्रेषण बाधित न होकर प्रसंगों, प्रकरणों, आख्यानों, इतिवृत्तों को नई अर्थ-ध्वनियों से समर्थ-संपन्न बनाता है। जीवन-जगत् के परिवेश ने इन कहानियों में घटनेवाली घटनाओं को चित्रकार की तरह कैनवास पर अपनी तूलिका से चित्रित कर साकार चित्र का रूप दिया है। सभी कहानियाँ चाहे कलाकार’ कहानी हो या ‘बँटाकी’, अपनी जानीपहचानी पृष्ठभूमि में उभरती हैं और जीवन-वास्तव को जज्ब करती हुई अपनी कला का सौंदर्यशास्त्र रचती हैं। इस कथ्यात्मक संवेदना के ज्ञानात्मक क्षेत्र से जीवन का समाजशास्त्र नए अर्थों की बहुवचनात्मक निष्पति करता है।

शैल तिवारी की रचना-प्रक्रिया और अनुभूति की बनावट तथा बनावट के कुछ प्रमाण उनकी इन कहानियों में मिलते हैं। वस्तुतत्त्व तथा रूपतत्त्व की द्वंद्वात्मक प्रक्रिया से कहानियाँ आगे बढ़ती हैं। इन कहानियों में मितकथन का गुण है-इस गुण के कारण शब्दों का अपव्यय प्रायः नहीं मिलता है। रचना-प्रक्रिया रहस्यमय मानसिक स्थिति की गतिशील स्थिति है, इसलिए उसकी आंतरिकता को समझना समझाना एक चुनौती है। कहानीकार चित्त-समाधि की अवस्था में होता है और उसे ज्ञात नहीं होता कि संकल्पात्मक-विकल्पात्मक भाव-विचार की मनोवृत्तियाँ कागज पर कैसे आकार ग्रहण करती हैं। आग की तरह दहकता अनुभूति का क्षण कहानी में तीव्रगति से प्रेरणा रूप में कहानी बन जाता है। इन कहानियों की अंतर्यात्रा करने पर पाठक को अनुभूति की ईमानदारी और अनुभव की प्रामाणिकता से साक्षात्कार होता है। शैल तिवारी सत्य को संदर्भ से जोड़ती चलती हैं और अंतर्योजना को खंडित नहीं होने देती हैं। रचना-कर्म अपने परिवेश की उपज होता है-उसमें ऐतिहासिक-सांस्कृतिक मनोभूमि की गति ही कलाकृति में रूप पाती है। युग परिवेश रचनाकार की मनोभूमि, संवेदना की गहराई, अनुभव की भाषा में घटता, पात्रों की सृष्टि, जीवन-जगत् के संघर्ष-तनाव, सरोकार सभी को प्रभावित करता है। फलतः शैल तिवारी की कहानियाँ समाज, समय, संस्कृति और परंपरा की पृष्ठभूमि में अधिक यथार्थमय और जीवंत बन जाती हैं।

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