Shidhi Bat Sahitykaro Se/सीधी बात साहित्यकारों से-लालित्य ललित

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Author: LALITYA LALIT
Pages: 252
Language: Hindi
Year: 2015
Binding: Both

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Book Description

सीधी बात साहित्यकारों से 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

इंटरव्यू तो बंधु सखा, सहचर, गुरु, राजनीतिक, साहित्यिक, कलाकार कोई भी हो–उससे वैचारिक स्तर पर हृदय-संवाद है। अच्छा इंटरव्यू या साक्षात्कार एक रचनात्मक अंतर्यात्रा होती है, जिसमें जीवन की विविधताओं, विषमताओं, विद्रूपताओं और प्रश्नाकुलताओं के भीतर हम एक नया पाठ रचते हैं। इस तरह इंटरव्यू आभ्यंतर यात्रा में आत्म-बोध का एक प्रकार है। यहाँ इंटरव्यू में प्रवेश करते ही ‘शब्द’ एक अतिरिक्त शक्ति प्राप्त कर लेता है। यह शब्द अपनी ऐतिहासिक और सामाजिक सत्ता का विस्तार है-जिसमें समय प्रवाहित रहता है। यहाँ यथार्थ और आदर्श के बीच की खिड़की हमेशा खुली रहती है। इतिहास, राजनीति, कला-दर्शन की छायाएँ उस पर जरूर पड़ती हैं और संवाद के स्वरूप को तिरोहित नहीं करतीं, उल्टे उसकी आत्यंतिक छवि, उसके अस्तित्ववान सत्य को और अधिक सघनता और उज्ज्वलता में उद्घाटित करती हैं। इंटरव्यू वह क्रीड़ास्थल है जिसमें इतिहास की छाया और मनुष्य के सत्य की द्वंद्व क्रीड़ा चलती है। इस तरह इंटरव्यू साहित्य वह ‘घर’ है–बिना दीवारों का घर–जहाँ वह पहली बार अपने ‘मनुष्यत्व’ से साक्षात्कार करता है। यह साक्षात्कार का अनुभव ऐसा है जिसे सुख की सुरक्षा चाहिए। घर वह इस अर्थ में है कि हम समस्त बाहरी सत्ताओं से छुटकारा पाकर अपने जीवनसत्य के पास लौटते हैं।

इंटरव्यू एक ऐसा साक्षात्कार या भेटवार्ता है जिसमें हम पत्रकारिता की एक महत्त्वपूर्ण विधा में प्रवेश करते हैं। किंतु सभी साक्षात्कार साहित्यिक नहीं होते। कई बार तो वे मित्रता का निर्वाह भर होते हैं जिसमें स्मृति का काल जीवंत होता है। फिर इंटरव्यू लेना पत्रकारों का व्यवसाय है और यह व्यवसाय महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों के विचारों को सामने लाना चाहता है। इसलिए साक्षात्कार की कामयाबी साक्षात्कार देनेवाले व्यक्ति पर निर्भर नहीं होती, साक्षात्कार लेनेवाले व्यक्ति की प्रबुद्धता पर निर्भर होती है।

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