Syamaswapan/श्‍यामास्‍वप्‍न-ठाकुर जगमोहन सिंह

RS:

110210

746 People watching this product now!

Author: THAKUR JAGAN MOHAN SINGH
Pages: 143
Language: Hindi
Year: 2015
Binding: Both

Fully
Insured

Ships
Nationwide

Over 4 Million
Customers

100%
Indian Made

Century in
Business

Book Description

श्‍यामास्‍वप्‍न

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

भारतेंदु युग के प्रसिद्ध रचनाकार ठाकुर जगमोहन सिंह का उपन्यास ‘श्यामास्वप्न’ अपनी काव्यात्मकता और प्रसन्न आधुनिकता की दृष्टि से अपूर्व कृति है। यह खड़ी बोली का पहला उपन्यास एक अद्भुत ढंग की अपनी अनूठी शैली में कलात्मक फैंटेसी है। अपने रूप स्वरूप में फैंटेसी जीवन की पुनर्रचना होती है जिसकी कल्पना की तह में जीवन-यथार्थ और मानव का सामूहिक अवचेतन मौजूद रहता है। ‘श्यामास्वप्न’ एक ऐसे प्रतिभाशाली कवि का उपन्यास है जो अपनी परंपरा को कवि-समयों से नया अर्थ संदर्भ देता चलता है। उसकी फैंटेसी में पौराणिक इतिवृत्तों की अनके गॅजे अनुगूंजें हैं। कवि कल्पना की रूपविधायिनी शक्ति से वह जीवनानुभवों को आख्यान रूपक में ढालकर एक नया सौंदर्यशास्त्र उपस्थित कर देता है। ‘श्यामारवन’ कल्पना के लालित्य का रोमांस’ कुंज है। यह संक्रमण काल की कृति है, जब भारत की विभिन्न भाषाओं में गद्य का प्रवर्तन एवं प्रसार हो रहा था। अंग्रेजी उपन्यासों के यथार्थवादी ढाँचे का अनुकरण हो रहा था और यह प्रभाव बंगला उपन्यासों पर छाया हुआ था। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने ‘इतिहास’ में लाला श्रीनिवास दास के परीक्षागुरु’ 1882 को अंग्रेजी ढाँचे का खड़ी बोली में पहला उपन्यास माना है। उपन्यास की यथार्थवादी रूप रचना से अलग कुछ ऐसे ही उपन्यास प्रयोग किए जा रहे थे, जिनमें रूप विधायिनी सर्जनात्मक कल्पना का मुक्त स्तार था। इन रोमांसपरक उपन्यासों में स्वतंत्रता की हुड़क थी–बंगला किमचंद्र चट्टोपाध्याय ऐसे ही रोमांस रच भी रहे थे।

You May Be Interested In…

Customer Reviews

0 reviews
0
0
0
0
0

There are no reviews yet.

Be the first to review “Syamaswapan/श्‍यामास्‍वप्‍न-ठाकुर जगमोहन सिंह”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You have to be logged in to be able to add photos to your review.