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प्रस्तुत पुस्तक एक ऐसे महान शिक्षाविद् के व्यक्तित्व तथा कृतित्व पर प्रकाश डालती है, जिसने शिक्षा के क्षेत्र में, विशेषकर ग्रामीण अंचल में, अनुपम ज्ञान-दीप प्रज्ज्वलित किया। भाऊराम पाटिल महाराष्ट्र के सुदूर गांव में जन्मे थे और अनेकानेक कष्ट और चुनौतियों का सामना करते हुए, जिसमें उनकी अद्र्धांगिनी भी सम्मिलित थीं, शिक्षा के क्षेत्र में नए कीर्तिमा स्थापित किए। विशेष बात यह है कि उन्होंने शुद्ध साधन अपनाए ओर अपने श्रम तथा निष्ठा से अपने ध्येय की ओर निरंतर अग्रसर होते गए। यह उन्हीं के भगीरथ प्रयासों का परिणाम था कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य लोगों ने समझा और आदर्शवादी तथा समर्पित शिक्षकों की जमात खड़ी हो गयी।
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