वृन्द कवि के सुबोध दोहे
इस कड़ी की सभी पुस्तकों का सभी क्षेत्रों और पाठकों के सभी वर्गों में हार्दिक स्वागत हुआ है और इनकी मांग बराबर आती हरती है। इन सभी पुस्तकों की सामग्री का चुनाव संत-साहित्य के मर्मज्ञ श्री वियोगी हरि जी ने किया है और चुनाव में अस बात की सावधानी रखी है कि पाठकों को नीति और अध्यात्मक की केवल ऐसी रचनाएं मिलें, जो सहज ही समझ में आ जाएं। उन रचनाओं को और भी बोधगम्य बनाने के लिए उन्होंने उनका अर्थ दे दिया है। श्री वियोगी हरि जी स्वयं उच्चकोटि के कवि हैं। अतः उनका अर्थ भी अत्यंत सरस है और उससे उन रचनाओं का आकर्षण और भी बढ़ गया है। भावों की स्पष्टता के लिए कहीं-कहीं संकलनकर्ता ने कुछ टिप्पणियां भी दे दी हैं।
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