जैसाकि पुस्तक के नाम से स्पष्ट है, इस पुस्तक में गांधीजी के विचारों का सार दिया गया है। इस संबंध में पूरी जानकारी लेखक ने अपने निवेदन में दी है।। पाठक उसे पढ़ेंगे ही। हम यहाँ केवल इतना कहना चाहते हैं कि प्रस्तुत पुस्तक के रचयिता गांधीजी के आश्रम के अंतेवासी थे, उन्होंने गांधीजी के विचारों का बड़ी गहराई से अध्ययन किया था। वह स्वयं उच्चकोटि के विद्वान और सिद्धहस्त लेखक थे। गांधीजी के पत्रों का उन्होंने संपादन किया था।
इस पुस्तक में उन्होंने पाठकों के लिए विशेषकर नई पीढ़ी के लिए, जो विचार दिए हैं, उनमें गांधीजी का जीवन-दर्शन समाया हुआ है, अर्थात गांधीजी के व्यक्तित्व और कृतित्व को समझने के लिए जो आवश्यक है, वह सब इसमें मिल जाता है।
वस्तुतः गांधीजी के सिद्धांत उनके जीवन-मंथन में से निकले थे. अतः उनमें जीवन के उत्कर्ष का दिशा दर्शन और प्रेरणा थी।
कहने की आवश्यकता नहीं कि गांधीजी के विचार वर्तमान समय के लिए उतने ही संगत और उपयुक्त हैं, जितने उस समय थे। आज उन विचारों को समझने की बड़ी आवश्यकता है, क्योंकि उनके आधार पर आज की बहुत-सी समस्याओं के समाधान सहज ही मिल जाते हैं।
यह ठीक है कि आज परिस्थितियाँ बदल गई हैं, मूल्य बदल गए हैं, लेकिन यह भी सत्य है कि मनुष्य को अपने मानवीय विकास की बहुत-सी सीढियाँ अभी चढ़नी हैं और गांधीजी के विचार उसमें विशेष सहायता प्रदान करते हैं।
इस पुस्तक को जो भी पढ़ेंगे, उन्हें बड़ा लाभ होगा। लेकिन हमारा आग्रह है। कि नई पीढी, जिसके कंधों पर भावी भारत का दायित्व आना है, इस पुस्तके को अवश्य पढे और केवल पढ़े ही नहीं, इसके विचारों के अनुसार अपने जीवन को ढाले । उससे उसे तो लाभ होगा ही, समाज और राष्ट्र भी लाभान्वित होगा।
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