Ganga Samagra/गंगा समग्र-विवेकानंद तिवारी

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Author: VIVEKANAND TIWARI
Pages: 394
Edition: 1ST(PB),2ND(HB)
Language: HINDI
Year: 2017(PB),2018(HB)
Binding: Both

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Book Description

गंगा समग्र 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

कर्म ज्ञान और भक्ति का सागर है। गंगा को सभी नदियों का अग्रजा माना गया है, सभी सरिताओं में श्रेष्ठ और सभी तीर्थों के जल से उत्पन्न माना गया है। तीनों लोको मैं प्रवाहित एवं पूज्य होने केकारण त्रिपथगा’ कहा गया है। भारतीय जन-मानस में गंगा की छवि हिमालय से बंगाल की खाड़ी तक एक पारलौकिक सत्ता के रूप में अंकित है। करोड़ों हिंदू धर्मावलंबियों की गंगा माँ है, जिसके बिना उनका जन्म से लेकर मृत्यु तक कोई भी संस्कार संपन्न नहीं होता।

मत्य के समय व्यक्ति के मुंह में गंगाजल डाला जाता है और मृत्यु के बाद अस्थि विसर्जन गंगा में की जाती हैं। हिमालय की जड़ी-बूटियों, औषधियों, खनिजों एवं अनके रहस्यमयी और चमत्कारी गुणों से युक्त गंगाजल के विलक्षण गुण देश-विदेश के वैज्ञानिकों द्वारा सिद्ध और प्रमाणित हो चुके हैं।

<इसके बावजूद आज गंगा अपने अस्तित्व को लेकर कराह रही है। विकास के नाम पर हमने गंगा को लगातार मैला करने का काम किया है और आज भी कर रहे हैं। अगर गंगा के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक संजीवनी को अगली पीढ़ी तक हम पहुँचाना चाहते हैं तो हमें इस पर आत्मालोचन करना होगा। वरना लाखों-करोड़ों रुपए ऐसे ही सरकारी फाइलों में पानी की तरह बहता रहेगा।

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