Itihas Ke Sawal
$2 – $5
ISBN: 978-81-7309-5
Pages: 159
Edition: Second
Language: Hindi
Year: 2012
Binding: Paper Back
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Description
भारतीय संस्कृति एवं इतिहास के मर्मज्ञ नंदकिशोर आचार्य की यह पुस्तक इतिहास के उन सवालों से संवाद स्थापित करने की कोशिश है जिससे प्रायः लोग किनारा कर लेते हैं या फिर उन सवालों के घेरे में उलझने से बचते हैं। आचार्य जी की इतिहास दृष्टि मौलिक, तार्किक और आधुनिक है। उनकी इतिहास दृष्टि भारतीय परिप्रेक्ष्य में निर्मित हुई है जिसके कारण वे अपने चिंतन में कहीं भी एकांगी नहीं होते हैं। एक तरफ वे इतिहास की लोकदृष्टि और उसकी वैज्ञानिकता के प्रश्नों को चिह्नित करते हैं वहीं दूसरी तरफ भारतीय मूल्यचेतना के संदर्भ में समाकलीन चुनौतियों से टकराने का माद्दा भी रखते हैं।
सैद्धांतिक और व्यावहारिक इतिहास लेखन का अनुपम संयोजन है यह पुस्तक। शुरू के आलेखों में जहाँ लेखक ने इतिहास लेखन की मूल चिंताओं और समस्याओं को सुलझाने की कोशिश की है वहीं आगे के अध्यायों में आधुनिक भारतीय इतिहास के उन महापुरुषों के विचारों और विरोधाभासों को रेखांकित किया है जिनकी भूमिका आधुनिक भारत के निर्माण में महत्त्वपूर्ण रही है। इस क्रम में उन्होंने गांधी ने अम्बेडकर, सुभाषचंद्र बोस, मोहम्मद अली जिन्ना, मौला अबुल कलाम आजाद के अलावा नोवेल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन की दार्शनिकता पर भी बेबाक टिप्पणी प्रस्तुत की है। इतिहास के सवाल’ नि:संदेह पाठकों के बहत सारे सवालों का उत्तर देगी और कुछ जरूरी सवाल उत्पन्न भी करेगी।
Additional information
Weight | 185 g |
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Dimensions | 14 × 21,5 × 1 cm |
Book Binding | Hard Cover, Paper Back |
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