Kashi Prasasd Jaiyaswal Sanchayan-v-1 (PB)

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Author: RATAN LAL
ISBN: 978-81-7309-940-3
Pages: 215
Language: Hindi
Year: 20118
Binding: Paper back

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Book Description

काशी प्रसाद जायसवाल हिंदी नवजागरण काल के एक बहु-आयामी प्रतिभा संपन्न लेखक थे। पेशे से वकील और चित्त से स्वाधीनता सेनानी जायसवाल जी ने भारतीय इतिहास, पुरातत्त्व, मुद्राशास्त्र, भाषा, लिपि संबंधी अपने अध्ययन-अनुसंधान और चिंतन से ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ बौद्धिक लड़ाई लड़ी और भारतीय जनमानस को पश्चिम के सत्ता-ज्ञानमूलक वर्चस्व से मुक्त करने का प्रयास किया। उनका विस्तृत कार्य अंग्रेजी में है किंतु वे बालकृष्ण भट्ट, महावीर प्रसाद द्विवेदी और श्याम सुंदर दास आदि के साथ हिंदी भाषा और हिंदी भाषी समाज के बौद्धिक जागरण के लिए भी प्रतिबद्ध थे। अंग्रेजी के साथ-साथ वे हिंदी में भी लिखते, हिंदी पत्रिका संपादित करते तथा व्याख्यान देते।

हिंदी प्रदीप, सरस्वती, नागरी प्रचारिणी पत्रिका में छपे उनके लेखों, कविताओं, जीवन-चरितों और यात्रा-वृत्तांतों को यहाँ एकत्र कर डॉ. रतन लाल ने हिंदी पाठकों का बड़ा उपकार किया है। इन लेखों में एक ओर तो हिंदी भाषा, शब्दावली, व्याकरण के स्वरूप के स्थिरीकरण संबंधी सुझाव, नागरी लिपि, नागरी लिपि के ऐतिहासिक महत्व संबंधी प्रामाणिक तथ्यों का उद्घाटन और साहित्य के माध्यम से हिंदू-मुस्लिम सद्भाव के विस्तार की प्रेरणा है दूसरी ओर हिंदी भाषा साहित्य को योगदान देनेवाले अंग्रेज विद्वानों, अधिकारियों संबंधी दुर्लभ जानकारी है।

इस संचयन का एक महत्वपूर्ण अंश काशी प्रसाद जायसवाल के यात्रावृत्तांत हैं। दुनिया भर के देशों की सामाजिक-सांस्कृतिक, राजनीतिक स्थितियों से हिंदी पाठक को परिचित कराना सरस्वती के उद्देश्यों में से एक था।

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