राजकुमार की प्रतिज्ञा
यह उपन्यास इतना रोचक है कि बच्चे इसे एक बार हाथ में लेकर बिना समाप्त किए छोड़ नहीं सकेंगे। वस्तुतः लेखक की भाषा बड़ी सहज-सरल है और उनकी शैली में अपने ढंग का अनोखा प्रवाह है। यद्यपि इसे उन्होंने मुख्यतः बच्चों के लिए लिखा है, तथापि बड़े पढ़ेंगे तो उन्हें भी आनंद आए बिना नहीं रहेगा। कहानी लेखक ने ऐसी चुनी है, जो छोटे-बड़े सबके लिए आकर्षक है। परियों की कहानी, जादू की नगरी और सागर पार करने की घटना आदि उनके मन को गुदगुदाएंगी और सिंहल द्वीप और उसकी राजकुमारी पद्मिनी की गाथा उन्हें उस रूपसी के मोहपाश में बांधे बिना नहीं रहेगी। पाठकों से हमारा अनुरोध है कि वे इस उपन्यास को स्वयं तो पढ़ें ही, दूसरों को भी पढ़वाएं, स्वयं आनंद लें, दूसरों को भी दिलवाने का श्रेय लें।
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