बापू चले गए, पर अपने जीवन व संदेश की धरोहर हमारे लिए छोड़ गए हैं। उसको देखकर हम अपना जीवन बनावें – अपने कर्तव्य-पथ पर बढ़ते चले जाएं। इसके लिए व्यापक रूप में इनका प्रचार, इनकी पहुंच होनी चाहिए। भारत की आजादी को टिकाए रखना व उसकेा घर-घर में फैलाना अब यह काम हमारे नौजवान लड़के-लड़कियों का है, जो आज स्कूलों में पढ़ रहे हैं। उनके लिए ऐसी किताब की जरूरत थी, जिसमें बापू का जीवन थोड़े में और उनका संदेश सही माने में आ जाए।
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