श्री रमण महर्षि
श्री रमण महर्षि भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में जाज्वल्यमान नक्षत्र की भाँति हैं। आत्मसाक्षात्कार के माध्यम से सुख और शांति का उपदेश देने वाले महर्षि जी का चुंबकीय व्यक्तित्व ऐसा था कि आम से लेकर खास तक सभी समान भाव से उनकी शरणागत हुए। महर्षि ऐसे संत थे जो हमेशा मानव और जीव कल्याण की शिक्षा देते रहे। उनकी दृष्टि से सतत असीम करुणा की अजस्र धारा प्रवाहित होती रहती थी, जो उनके पास आनेवाले देशी-विदेशी, हर धर्म और जाति के लोगों को समान रूप से प्राप्त होती थी।
प्रस्तुत पुस्तक में श्री रमण महर्षि के संपर्क में आए एक सौ बीस व्यक्तियों के प्रेरणादायी संस्मरणों को संकलित किया गया है, जो महर्षि के तत्त्वज्ञान को समझने में सहायक सिद्ध होंगे। इस पुस्तक का संपादन प्रो. लक्ष्मी नारायण ने किया है तथा प्राक्कथन डॉ. त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी ने लिखा है। पुस्तक का हिंदी अनुवाद डॉ. छाया तिवारी ने किया। हम इन सबके प्रति आभार ज्ञापित करते हैं। यह पुस्तक भारतीय अध्यात्म परंपरा के एक महत्त्वपूर्ण पक्ष से हमारा परिचय कराती है। श्री रमण महर्षि, श्री अरविंद, श्री जे. कृष्णमूर्ति की अध्यात्म परंपरा के एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण पक्षधर रहे हैं। आशा है कि इस पुस्तक के बहाने नई पीढ़ी श्री रमण महर्षि के विचारों को अपनाने के साथ-साथ भारतीय अध्यात्म परंपरा से जुड़ने का प्रयास करेंगी।
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