सोने का दरवाजा
देश-विदेश के श्रेष्ठ बाल एवं किशोर साहित्य को किफायती मूल्य पर उपलब्ध कराना ‘सस्ता साहित्य मंडल’ का उद्देश्य रहा है। इस क्रम में सस्ता साहित्य मंडल द्वारा दर्जनों बाल साहित्य की पुस्तकें प्रकाशित की गईं, जो भारतीय संस्कृति की मूल संवेदना को बचाते हुए वैज्ञानिक दृष्टि विकसित करने में सहायक रही हैं। प्रसिद्ध शिक्षाविद् गिजुभाई की कहानियाँ तो ‘सस्ता साहित्य मंडल’ की पहचान ही बन गई हैं, इसके अलावा जीवन और जगत के विकास से लेकर प्रकृति के विभिन्न आयामों पर प्रकाशित साहित्य को पाठकों की काफी सराहना मिली है। अभी-अभी प्रसिद्ध उड़िया लेखक मनोज दास की ‘स्वर्ण घाटी की जनगाथा’ तथा ‘चौथा सखा’ पुस्तकें ‘सस्ता साहित्य मंडल द्वारा प्रकाशित की गई हैं। इसी क्रम में बांग्ला के प्रसिद्ध लेखक मानवेंद्र बंद्योपाध्याय की अत्यंत लोकप्रिय एवं प्रसिद्ध कृति ‘सोनार दुआर’ का हिंदी अनुवाद *सोने का दरवाजा’ प्रकाशित किया जा रहा है। पारंपरिक मिथकों को आधुनिक सोच में ढालते हुए इसमें एक ऐसी ‘फंतासी’ बुनी गई है कि बच्चे कल्पनालोक की रंग-बिरंगी एक अलग दुनिया लोक में पहुँच जाते हैं। जिज्ञासा मानव की सबसे मुख्य प्रवृत्ति होती है और खासकर बच्चों की मुख्य प्रवृत्ति ही होती है। इस पुस्तक का पात्र रंकूलाल उस देश में रहता है जो देश कहीं नहीं है। उसका वजूद या अस्तित्व नहीं है, इसके बावजूद वह हर जगह है। कई देशों की यात्रा कर चुकी इस अद्भुत कथा-यात्रा का हमारे बच्चे भी स्वागत करेंगे और रंकूलाल के साथ-साथ उस अनजाने देश की यात्रा स्वयं भी करेंगे।
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.