सूतपुत्र कर्ण
गुजराती के लब्ध-प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री नानाभाई भट्ट से हिंदी के पाठक भलीभांति परिचित है। उनकी अनेक पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद हुआ है। पाठकों ने उनकी बड़ी सराहना की है। उनकी ‘रामायण के पात्र’ तथा ‘महाभारत के पात्र’ मालाएं तो बहुत ही लोकप्रिय हुई हैं। लेखक की भाषा बड़ी सरल और सुंदर है। चरित्रों का वर्णन उन्होंने इतने प्रभावशाली ढंग से किया है कि वे पात्र सजीव रूप में पाठकों के सामने आ खड़े होते हैं। इस पुस्तक में उन्होंने कर्ण के जीवन पर प्रकाश डाला है, जो अत्यंत पे्ररणादायक है।
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