तुम्हे पाकर
डॉ. पुष्पा सक्सेना हिंदी कहानी के क्षेत्र का सुपरिचित नाम है। उनकी कहानियों में आकस्मिक रूप से प्रकरणों, भाव-स्थितियों का विस्फोट सर्जनात्मक शक्ति के साथ होता है। घटनाएँ और मनोवृत्तियाँ एक संश्लिष्ट कथा-संसार की सृष्टि करती हैं और कथा के प्रसंग-प्रकरण, भावकोण, भावदशाएँ अनजाने ही कहानियों में उतरते मिलते हैं। इस दृष्टि से उनकी कहानियों में परिवेश की रचनात्मक संवेदना का संसार नए रूप-रंग की निष्पत्ति करता है। उनकी पूरी कथात्मक संवेदना का जीवन जगत् अपने अंचल की मनोभूमि को व्यक्त करता है। इस तरह इन कहानियों में जिएभोगे जीवन का यथार्थ जीवनानुभूति की प्रामाणिकता के साथ सामने आता है। प्रायः अनुभूति परिवेश की पृष्ठभूमि में बिंब-बहुलता के साथ कथाबिंब को विस्तार देती है। यहाँ भारतीय तथा अमेरिकी जीवन की कथाएँ जीवन प्रसंगों-तनावों-अंतर्द्वद्वों, संघर्षों तथा विषमताओं को उजागर करने में सक्रिय हैं। जीवन के विविध राग-रंग इन कहानियों की वस्तु बनते हैं और वस्तु के साथ वे जीवन सत्यों को नए संदर्भो से जोड़ती चलती हैं। यह रागमय विश्व यहाँ इन कहानियों का पाठ पाठक के लिए रचता है। इस तरह यह कथा का पाठ रमणीय तो है ही। जीवन के अनुभवों का बहुवचनात्मक पाठ-विमर्श भी अपने में समाहित किए रहता है। प्रेम और सौंदर्य इन कहानियों की कथात्मक संवेदना में भिदा हुआ है। यहाँ नर-नारी का राग-विराग प्रश्नाकुलताओं के घेरे बनाता है और भावना की भूमि पर हरियाली से फैलता-फलता है। कहानी कला में कहीं-कहीं विदेशी पष्ठभनि , आई भारतीय नारी की रोचक कथा अपनी सृष्टि में पाठक के झकझोर कर रख देती है। वो हादसा नहीं था’ जैसी कहानियाँ इसी , की साकार छबियाँ हैं। भारतीय नारियों के शोषण की कथा-व्यथा इन कहानियों में एक नया नारी-विमर्श का पथ-प्रशस्त करती देखी जा सकती है। बालिकाओं के दैहिक-मानसिक-सामाजिक शोषण के रूप कई ध्वन्य के साथ इन कहानियों के अंतर्जगत् से चिंतन की लपट उठते मिलते हैं।
नारी-विमर्श का नया पाठ प्रस्तुत करनेवाली इन रागभरी कहानियों को पाठक समाज के सामने लाते हुए मैं हार्दिक प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूँ। मुझे विश्वास है कि प्रबुद्ध पाठक समाज में इन कहानियों का पूरे उत्साह से स्वागत होगा।
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