उन्नीस प्रतिनिधि कहानियाँ
मिथिलेश्वर प्रेमचंद और फणीश्वरनाथ रेणु के बाद ग्रामीण जीवन की कहानियाँ लिखनेवाले सिद्धहस्त कथाकार हैं। इनकी कहानियों में गाँव और गाँव के लोग सजीव हो उठे हैं, साथ ही गाँव के बदलते स्वरूप का भी पता चलता है। मिथिलेश्वर की कहानियों में ग्रामीण स्त्रियों के शोषण-उत्पीड़न की अत्यंत सजीव और यथार्थ अभिव्यक्ति मिलती है। गाँव के दलितों के शोषण और जातिभेद पर भी इनकी कलम चलती है। अपनी महत्त्वपूर्ण कहानी ‘बाबू जी’ में स्त्री-पुरुष की समानता को बिलकुल नए दृष्टिकोण से परखा गया है, तो ‘जमुनी’ कहानी के केंद्र में एक भैंस है जिससे एक पूरे परिवार का भरण-पोषण होता है। मिथिलेश्वर की कहानियाँ ग्रामीण और कस्बाई स्त्री-पुरुष, किसान-मजदूर और हाशिए पर पड़े लोगों की कहानियाँ हैं। आशा है ये कहानियाँ पाठकों को पसंद आएँगी।
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