वत्सल निधि प्रकाशन माला
साहित्य तथा भाषा की संवर्धना, साहित्यकारों विशेषत: युवा लेखकों की सहायता, साहित्यिक अभिव्यक्ति, साहित्य-विवेक और सौंदर्य-बोध के विकास आदि कार्य को केंद्र में रखकर अज्ञेय ने वत्सल निधि की स्थापना की थी। वत्सल निधि द्वारा समय-समय पर लेखक शिविर, कार्यशालाएँ, संगोष्ठियाँ, परिसंवाद, सभाएँ, संदर्भ सामग्री और दस्तावेजों का संग्रह आदि गतिविधियाँ नियमित रूप से संचालित की जाती रहीं। वत्सल निधि न्यास द्वारा आयोजित राय कृष्णदास व्याख्यानमाला’ तथा “हीरानंद शास्त्री स्मारक व्याख्यान माला’ साहित्य एवं संस्कृतिकर्मियों द्वारा एक स्वर में सराहे गए।
यहाँ वत्सल निधि द्वारा आयोजित लेखक शिविरों तथा गोष्ठियों में पढ़े गए निबंधों तथा संवादों का समग्र प्रकाशन एक साथ किया जा रहा है। पाँच उपशीर्षकों में विभाजित इस पुस्तक में शामिल व्याख्यानों एवं निबंधों के विषय इस प्रकार हैं : सर्जन और संप्रेषण, साहित्य का परिवेश, साहित्य और समाज परिवर्तन की प्रक्रिया, सामाजिक यथार्थ और कथा-भाषा तथा समकालीन कविता में छंद।
अपने समय के सुप्रसिद्ध विषय मर्मज्ञ रचनाकारों के आलेखों से सुसज्जित, साथ ही अज्ञेय जी की संपादकीय मोती से जड़े यह संकलन हर पाठक के लिए धरोहर-सौगात है।
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