कहा गया है कि भक्त और भगवान् का परस्पर का प्रेमसंबंध है-‘हम भक्तन के भक्त हमारे’। भक्त की भक्ति-भावना में कमी हो सकती है, पर भगवान् सदैव अपने भक्त का स्मरण रखते हैं। जिस किसी ने भी जिज्ञासु होकर, आत्र्त होकर और स्वार्थ-भावना से भी तथा ज्ञानपूर्वक अनन्य रूप से एक बार भी भगवान का स्मरण किया, उसका दुःख हरने के लिए वे तुरंत दौड़े आते हैं। दूसरे सारे सहारे छोड़कर केवल एक भगवान का आश्रय पकड़ लेना ही अनन्य भक्ति-भावना है। यह नित्य के अभ्यास से ही संभव है। परंतु अभ्यास में अहंकार नहीं होना चाहिए। यह अभ्यास भगवान के अनुग्रह से ही बन सकता है। प्रस्तुत पुस्तक इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए पाठको के समझ प्रस्तुत है।
Om Namo Bhagwate Vasudeway (HB)
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Author: MANDELEYA PARAMARSH KOSH
ISBN:
Pages: 102
Language: Hindi
Year: 2004
Binding: Hard Cover
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