जीवन क्या जिया
राजकमल चौधरी मैथिली ही नहीं, हिंदी के भी विरल रचनाकार थे। अपनी अल्प आयु में ही उन्होंने विपुल साहित्य का सृजन किया, जो गुणवत्ता की दृष्टि से भी उत्कृष्ट मानी जाती है। अपने जीवनकाल में राजकमल मैथिली और हिंदी, दोनों साहित्यिक वर्ग में कुत्सित राजनीति के शिकार रहे यह बहुत दुखद है। आशा है उनकी यह पुस्तक पाठकों को पसंद आएगी।
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.