Jiwan Aur Sadhna
$1 – $3
ISBN: 978-81-7309-3
Pages: 144
Edition: Fifth
Language: Hindi
Year: 2009
Binding: Paper Back
- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
प्रस्तुत पुस्तक के लेखक से हिन्दी के पाठक भली-भाँति परिचित हैं। कुछ समय पूर्व उनकी एक पुस्तक ‘श्रीअरविन्द का जीवन दर्शन’ ‘मण्डल’ से प्रकाशित हुई थी, जिसे पाठकों ने बहुत पसंद किया। वस्तुतः विद्वान् लेखक विख्यात दार्शनिक हैं और श्रीअरविन्द की विचारधारा के प्रमुख व्याख्याता। उनके जीवन के अनेक वर्ष श्रीअरविन्द आश्रम में एक महान् साधक के रूप में व्यतीत हुए हैं और अब भी वह पांडिचेरी आश्रम में साधनारत हैं।
हमें हर्ष है कि उन्हीं की एक अन्य लोकोपयोगी पुस्तक पाठकों के हाथों में पहुँच रही है। इसमें उन्होंने बताया है कि जीवन क्या है, उसका मुख्य लक्षण क्या है और उसकी प्राप्ति किस प्रकार हो सकती है।
यह पुस्तक उन जिज्ञासाओं का भी सुंदर ढंग से समाधान करती है, जो सभी प्रकार के पाठकों के मन में उठा करती हैं। हम क्या हैं? यह जगत क्या। है? भगवान् क्या है? भगवान की सत्ता का भाव क्या है? हमारे भारतीय मनीषियों ने इन तथा ऐसे ही प्रश्नों के क्या उत्तर दिए हैं ? श्रीअरिवन्द माताजी क्या कहती हैं? पश्चिम के विचारकों के मंतव्य क्या हैं?
यह सम्पूर्ण विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए विद्वान लेखक बताते हैं कि मानव ? लिए अभीष्ट क्या है। इतना ही नहीं वह उसकी प्राप्ति का मार्ग भी सुझात
सामान्यतया संसार में अधिकांश व्यक्तियों की दष्टि बहिर्मुखी होती हैं। उससे वे भौतिक स्तर पर विकास भी करते हैं, किन्तु यह पप।।
पास भी करते हैं, किन्तु वह विकास स्थायी नहीं। माया विकास के लिए व्यक्ति का अंतर्मुखी होना आवश्यक है। उत्तरा। आनद की उपलब्धि होती है जिसे आध्यात्मिक भाषा में सचिदानन्द कहा गया है।
Additional information
Weight | 175 g |
---|---|
Dimensions | 14 × 21,5 × 1 cm |
Book Binding | Hard Cover, Paper Back |
Reviews
There are no reviews yet.