Kashi Prasasd Jaiyaswal Sanchayan-v-3 (PB)

RS:

170

96 in stock

813 People watching this product now!

Author: RATAN LAL
ISBN: 9978-81-7309-942-7
Pages: 213
Language: Hindi
Year: 2018
Binding: Paper back

Fully
Insured

Ships
Nationwide

Over 4 Million
Customers

100%
Indian Made

Century in
Business

Book Description

काशी प्रसाद जायसवाल हिंदी नवजागरण काल के बहु-आयामी व्यक्तित्व के धनी लेखक हैं। पेशे से वकील और चित्त से स्वाधीनता सेवक जायसवाल जी ने भारतीय इतिहास, पुरातत्त्व, मुद्राशास्त्र, भाषा, लिपि संबंधी अपने अध्ययन-अनुसंधान और चिंतन से ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ बौद्धिक लड़ाई लड़ी और भारतीय जन-मानस को पश्चिम के सत्ता-ज्ञानमूलक वर्चस्व से मुक्त करने का प्रयास किया। उनका विस्तृत कार्य अंग्रेजी में है किंतु वे बालकृष्ण भट्ट, महावीर प्रसाद द्विवेदी और श्याम सुंदर दास के साथ हिंदी भाषा और हिंदी भाषी समाज के बौद्धिक जागरण के लिए सक्रिय रूप से प्रतिबद्ध रहे। अंग्रेजी के साथ-साथ वे हिंदी में भी लिखते, पत्रिका संपादन और व्याख्यान देते।

काशी प्रसाद जायसवाल संचयन का तीसरा खण्ड ऐतिहासिक अनुसंधान, विवेचन एवं लेखन से संबंधित है। हिंदी प्रदीप, काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका और सरस्वती में छपे जायसवाल जी के ऐतिहासिक लेखों के अलावा अन्यत्र उपलब्ध दो दस्तावेज तथा पत्र भी इसमें शामिल हैं।

भारतीय इतिहास के देशी-विदेशी विद्वानों द्वारा किए जा रहे पुरातात्विक सर्वेक्षण, विश्लेषण और तथ्य-निरूपण कार्य में सक्रिय भागीदारी करके जायसवाल जी उनकी उपलब्धियों और खामियों को तो उजागर करते ही हैं भारतीय इतिहास लेखन की अपनी पहचान बनाने कीओर भी कदम उठाते हैं। भारतीय इतिहास-दृष्टि से इतिहास लेखन के लिए वे भारतीय इतिहास परिषद की योजना प्रस्तावित करते हैं, जिसमें अपने समकालीन पुरातत्व और संस्कृति वेत्ताओं को शामिल करते हुए साहित्य, संस्कृति और इतिहास की पारस्परिकता को स्थापित करने की योजना बनाते हैं।

You May Be Interested In…

Customer Reviews

0 reviews
0
0
0
0
0

There are no reviews yet.

Be the first to review “Kashi Prasasd Jaiyaswal Sanchayan-v-3 (PB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You have to be logged in to be able to add photos to your review.