प्रकाशकीय प्रस्तुत संग्रह में हिन्दी के सुप्रसिद्ध लेखक बन्धुवर रामवृक्ष बेनीपुरी के कुछ चुने हुए रेखाचित्र एवं संस्मरण दिये गये हैं। इन रचनाओं को पढ़कर पाठक देखेंगे कि लेखक की दृष्टि कितनी पैनी है और कैसे-कैसे सूक्ष्म चित्र उपस्थित करती है। जहां तक शैली का सम्बन्ध है , लेखक का अपना स्थान है। छोटे-छोटे वाक्यों तथा भाव-भरे शब्दों के प्रयोग से वह भाषा में ऐसी जान डाल देते हैं कि पाठक पढ़कर मुग्ध रह जाता है। कहीं-कहीं तो उनके वाक्य बिना क्रिया-पद के ही चलते हैं, पर ऐसा प्रतीत होता है, मानो भाव उसमें छल-छला रहे हों। उन जैसे शैलीकार हिन्दी-जगत में कम ही हैं।
इस पुस्तक में भारतीय नेताओं एवं चिंतकों के संस्मरण तो पढ़ने को मिलेंगे ही, साथ ही अन्य अनेक देशों के महापुरुषों के भी। जौहरी यह नहीं देखता कि हीरा कहां पड़ा है। वह उसे पहचानते ही तत्काल उठा लेता है। लेखक को जहां भी चरित्र की उत्कृष्टता दीख पड़ी है, उस पर प्रकाश डाला है और इस प्रकार अपनी रचनाओं को उन्होंने न केवल सुपाठ्य बनाया है, अपितु शिक्षाप्रद भी।
हमें विश्वास है कि यह संग्रह पाठकों को बहुत प्रिय लगेगा। हम चाहते हैं। कि अन्य भाषाओं में भी इसका अनुवाद हो जिससे अधिक-से-अधिक भारतीय पाठक इस उत्तम पुस्तक का रसास्वादन कर सकें।
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