प्रतिनिधि निबंध रवीन्द्रनाथ ठाकुर
भारतीय नवजागरण के अग्रदूत विश्वकवि रवींद्रनाथ ठाकुर के ये निबंध भारत और भारतीयता की पुनर्व्याख्या है। उनकी आधुनिक दृष्टि पूर्णत: भारतीय थी। भारतीय संस्कृति, साहित्य एवं सभ्यता, जिसे औपनिवेशिक शक्ति ने हीन करार दिया। था, रवींद्र उसकी शक्ति और महत्ता को समग्रता में सामने लाते हैं। रवींद्र भारतीय साहित्य के पहले आधुनिक चिंतक थे। जिन्होंने भारतीय वाङ्मय के उजले पक्ष को दुनिया के सामने रखा, साथ ही अँधेरे पक्ष को उजाले की ओर लाने का भी। सतत् प्रयास किया। रामायण, शकुंतला आदि विषयक निबंधों में उनकी इस दृष्टि को देखी जा सकती है। उनके साहित्यिक निबंधों से संपूर्ण भारतीय साहित्य अनुप्रेरित होती रही है। हिंदी में महावीर प्रसाद द्विवेदी ने ‘कवियों की उर्मिला विषयक उदासीनता’ शीर्षक से उनके निबंध का अनुवाद किया था। जिससे प्रभावित होकर ही मैथिली शरण गुप्त ने प्रसिद्ध महाकाव्य ‘साकेत’ की रचना की थी।
इस संग्रह में महात्मा गांधी के अलावा उनकी विदेश यात्रा की डायरी भी संकलित है। रवींद्र की एक सौ पचासवीं जयंती पर उनके इन श्रेष्ठ निबंधों का प्रकाशन पाठकों के लिए सौगात सिद्ध होगा।
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