साहित्य संस्कृति और समाज परिवर्तन प्रक्रिया
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन’ अज्ञेय’ प्रतिष्ठित कवि और कथाकार तो हैं ही, अत्यंत सुलझे हुए चिंतक भी हैं। उन्होंने साहित्य और । संस्कृति की समस्याओं को केंद्र में रखकर पर्याप्त लेख लिखे हैं जो चिंतनपरक तो हैं ही, बेहतरीन गद्य का भी नमूना है। अज्ञेय द्वारा रचित और संपादित ग्रंथों की श्रृंखला में प्रस्तुत पुस्तक मील का पत्थर है जिसमें साहित्य, संस्कृति और समाज के बदलाव और विकास पर अज्ञेय ने ध्यान केंद्रित किया है।
प्रस्तुत पुस्तक के लेखों में अज्ञेय ने साहित्य और कला को संस्कृति और प्रकृति के विराट बोध के साथ परखने पर बल दिया है। इसी क्रम में वे परंपरा, रुढ़ि और मौलिकता की उलझन को सुलझाकर रखते हैं। सौंदर्य, सौंदर्य-बोध, शिवत्व-बोध और विज्ञान तथा मिथक पर संकलित लेखों के कारण यह पुस्तक साहित्य से इतर पाठकों के लिए भी अत्यंत उपयोगी बन पड़ा है। शब्दों की खामोशी और मौन की गरिमा इन लेखों की साख है जिसे अज्ञेय की। अन्यतम विशेषताओं के रूप में पाठक भली-भाँति जानते हैं। तार सप्तक, दूसरा सप्तक, तीसरा सप्तक और दुर्लभ चौथा सप्तक की भूमिका के कारण यह पुस्तक अत्यंत विशिष्ट महत्त्व रखती है।
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