‘विष्णु सहस्रनाम’ के माहात्म्य को सब जानते हैं। उसमें विष्णु भगवान के एक हजार नाम हैं। कुछ वर्ष पूर्व आचार्य बिनोवा भावे ने अपने हाथ से उन नामों को लिखना आरंभ किया, फिर उन नामों के साथ संक्षिप्त टिप्पणी दी और अंत में एक-एक नाम पर एक-एक रेखा़-चित्र दिया। वह पुस्तक ‘विष्णु सहस्रनाम’ के नाम से उन्हीं की लिपि में प्रकाशित हुई। पाठकों ने उसे इतना पसंद किया कि कुछ ही दिनों में उसकी सारी प्रतियां खप गईं और पुस्तक का नया संस्करण हो गया। संस्कृत के परम् विद्वान डा. पांडुरंग राव ने इस पुस्तक में विष्णु सहस्रनाम के नामों की विशद व्याख्या की है। लखक ने एक भक्त का हृदय पाया है। उसका ज्ञान सूक्ष्म और पारदर्शी है। उसका अध्ययन व्यापक है। इसमें विष्णु सहस्रनाम के प्रत्येक नाम के गूढ़ार्थ को समझने में विशेष सहायता मिलती है।
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Sahstra Dhara (HB)
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