स्वदेशी और राष्ट्रचेतना
गांधीजी ने स्वदेशी पर बहुत जोर दिया और उपेक्षा की थी कि भारतवासी देश की बुनियाद को पक्का करने के लिए अपने क्षेत्र में अथवा अपने देश में बनी चीजों का प्रयोग करें। इतना ही नहीं, देश की आत्मा को देखकर उसके साथ आत्मीयता का नाता जोड़ें। विदेशी माला की होली की आज भी हमें यद है। यह पुस्तक उसी ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करती हैं।
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