उपनिषदों का बोध
प्रस्तुत पुस्तक में मनीषी लेखक ने उपनिषदों के कुछ चुने हुए वचनों को लेकर बड़ी ही सरल एवं सुबोध भाषा में उनका सार पाठकों को दिया है। उपनिषदों का भंडार बड़ा ही समृद्ध है। उसमें से लोकोपयोगी विचार छांटना आसान काम नहीं है। काकासाहेब ने इस कठिन काम को बड़ी खूबी के साथ किया। पुस्तक इतनी उद्बोधक है कि पाठक उसे एक बार पढ़कर पटक नहीं सकेंगे। हम विश्वासपूर्वक कह सकते हैं कि इसे जो भी मनोयोगपूर्वक पढ़ेगा, उसे अवश्य लाभ होगा, वैसे भी ज्ञान के सागर में व्यक्ति जितना गहरा गोता लगाता है, उतने ही अनमोल रत्न उसके हाथ लगते हैं।
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