‘मण्डल’ का बराबर प्रयत्न रहा है कि वह पाटकों को ऐसी सामग्री प्रदान करे जो उनके जीवन को ऊपर उठाने में सहायक हो। वैसे तो ‘मण्डल’ का सारा साहित्य ही इस भावना से प्रेरित है, लेकिन उसका आध्यात्मिक साहित्य तो इस दिशा में बहुत उपयोगी है।
प्रस्तुत ग्रंथ ‘मण्डल’ द्वारा प्रकाशित आध्यात्मिक साहित्य में अपना विशेष स्थान रखता है। पुराणों में श्रीमद्भागवत की महिमा सबसे अधिक मानी गई है। यह ग्रंथ उसीके एकादश स्कंध का हिन्दी-अनुवाद है।
इस ग्रंथ का महत्त्व केवल इसलिए नहीं है कि यह एक महान् ग्रंथ का रूपान्तर है, बल्कि इसलिए भी कि इसमें वह मार्ग बताया गया है, जिसपर चलकर हमारा जीवन कृतार्थ बन सकता है । हम किसी भी मान्यता अथवा विचारधारा के क्यों न हों, इस ग्रंथ के अध्ययन एवं इसके विचारों के मनन से अपने जीवन में बहुत कुछ प्राप्त कर सकते हैं।
आज हम विज्ञान के युग में रह रहे हैं, लेकिन सभी विवेकशील व्यक्ति मानते हैं कि विधान का पूरा लाभ तभी मिल सकता है, जबकि उसके साथ आध्यात्मिकता समन्तित हो ।
हमें हर्ष हैं कि अब पाठकों को दोनों खण्ड एक साथ ही सुलभ हो रहे हैं। पूर्वार्द्ध में श्री मद्भागवत के एकादश स्कंध के अठारह अध्यायों का विवेचन आया है और उत्तरार्द्ध में एकादश स्कंध की व्याख्या के साथ ही श्रीमदभागवत तथा श्रीकृष्ण के सम्बन्ध में कुछ बहुत ही मूल्यवान सामग्री जोड़ दी गई हैं।
हमें इस बात की बड़ी प्रसन्नता है कि पाठकों में आध्यात्मिक साहित्य की भूख आज भी बनी हुई है और विश्वास है कि इस ग्रंथ का सर्वत्र स्वागत होगा तथा सभी वर्गों के पाठक इससे लाभान्वित होंगे।
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.