भारत की जातीय पहचान सनातन मूल्य
कृष्ण बिहारी मिश्र भारतीय संस्कृति के गहरे अध्येता और चिंतक हैं। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से भारतीय चिंतनधारा को बृहत् आयाम दिया है। भारतीय सभ्यता, संस्कृति और चिंतनधारा के मूल्यों की पहचान और स्थापना उनके लेखन की मूल चिंता रही है। वैश्वीकरण के इस अभिशप्त समय में लगातार हमारी सांस्कृतिक जड़ों पर साम्राज्यवादी औपनिवेशिक मानसिकतावादी बौद्धिकों द्वारा आघात किया जा रहा है। हमारी नई पीढ़ी सांस्कृतिक रूप से ‘त्रिशंकु’ बनती जा रही है। किसी षड्यंत्र की तरह सांस्कृतिक विकलांगता की स्थिति उत्पन्न की जा रही है। ऐसे समय में कृष्ण बिहारी मिश्र जी के ये निबंध बिना किसी पूर्वग्रह के भारत की जातीय पहचान के सनातन मूल्यों को रेखांकित करती है। यह पुस्तक उन भारतीय सनातन मूल्यों को स्थापित करती है जिनसे महात्मा गांधी ने ऊर्जा पाकर भारतीय जनमानस के भीतर से हीनता की ग्रंथि को दूर कर आत्मविश्वास उत्पन्न किया। यह पुस्तक नई और भटकी पीढ़ी को अपनी जड़ों से जुड़ने में सहायक सिद्ध होगी।