मीराबाई के सुबोध
मीराबाई और उनके पदों के विषय में कुछ भी कहना अनावश्यक है। उनके पदों को सुनकर आज भी हृदय पुलकित हो उठता है। उनमें भक्ति-रस की ऐसी धारा प्रवाहित है कि उसमें जो भी अवगाहन करता है, उसे बड़ी शीतलता अनुभव होती है। इस माला की सभी पुस्तकों का संकलन संत-साहित्य के मर्मज्ञ श्री वियोगी हरि जी ने किया है। उन्होंने शब्दार्थ तथा आवश्यक टिप्पणियां भी दे दी हैं। सोने में सुहागे की कहावत चरितार्थ हुई है।
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