Rastra Pita/राष्ट्रपिता-जवाहरलाल नेहरू

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Author: JAWAHARLAL NEHRU
Pages: 108
Language: Hindi
Year: 2019
Binding: Both

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Book Description

राष्ट्रपिता 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और राष्ट्रपिता जननायक महात्मा गांधी को यहाँ एक साथ देखकर हमें प्रसन्नता होती है। यहाँ हम श्री जवाहरलाल नेहरू जी के उन भाषणों-लेखों को एकत्र करके एक साथ पाठकों के लिए सुलभ बना रहे हैं, जिनमें उन्होंने महात्मा गांधी के प्रति अपनी विचारांजलि अर्पित की है। गांधी जी में हमारी परंपराएँ बोलती बतियाती मिलती हैं। असल में, गांधी जी पूरी हिंदुस्तानी जिंदगी की समग्र लय थे-इसलिए भी उनके विचार हम सभी के लिए प्रेरणा से भरपूर रहते हैं। अपने राष्ट्रपिता के कंधों पर बैठकर ही हम पले-बढ़े हैं, इसलिए उनसे संवाद-विवाद हमारे गहरे अनुराग का अंग हैं। गांधी के चिंतन में हमारे पुरखों की आत्मा का निवास है और भारतीय परंपराओं से फूटती भारतीय आधुनिकता की ध्वनि। इन भाषणों में गांधी जी के अनेक बिंब ऐसे हैं जो कवि कल्पना के अनिवार्य अंग कहे जा सकते हैं। गांधी जी से अनेक मुद्दों पर नेहरू जी असहमत रहे। यहाँ तक कि वे गांधी के हिंद स्वराज’ के पूरे थीसिस को अस्वीकार करते थे। दोनों के बीच प्रबल विरोध की आँधी चलती रही, लेकिन दोनों के मन में एक-दूसरे के प्रति गहरी आत्मीयता रही। गांधी जी भारत में ग्रामीण राह को सुधार-परिष्कार चाहते थे, ताकि हमारी भारतीयता के उजले रंग समाज-संस्कृति में जीवंत रह सकें। लेकिन नेहरू जी भारत को ज्ञान-विज्ञान से संपन्न पश्चिमी आधुनिकता का भारत बनाना चाहते थे। दोनों के बीच यह विवाद सन् 1942 के बाद बढ़ गया था और अंततः नेहरू जी की आधुनिकता के मॉडल पर ही यह देश चला। आज हम जैसे भी बने हैं नेहरू जी की। चिंतनपरक राह के ही परिणाम कहे जा सकते हैं।

सौभाग्यवश नेहरू जी के कई भाषण मूल रूप में हमें उपलब्ध हो गए। हैं। हमारा प्रयास रहा है कि इन भाषणों को ज्यों-का-त्यों पाठकों को दे दिया जाए। उदाहरणार्थ बापू के अस्थि विसर्जन के समय त्रिवेणी पर पहली बरसी के अवसर पर राजघाट पर दिया गया भाषण। इस तरह इस पुस्तक में आप पाएँगे कि दो महान आत्माओं की विचार-ध्वनियाँ हमें पढ़ने को मिलेंगी।

नेहरू जी के इन मूल्यवान भाषणों-लेखों को प्रबुद्ध पाठक समाज को सौंपते हुए मैं गौरव का अनुभव कर रहा हूँ। मुझे विश्वास है कि पाठकसमाज में इन भाषणों का आदर होगा और इनकी अंतर्यात्रा से हमें नई दृष्टि का प्रकाश मिलेगा।

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