मेरी समकालीन
पुस्तक में गांधीजी की उन रचनाओं का संग्रह किया गया है, भनमें उन्होंने अपने समय के बड़े-से-बड़े नेता से लेकर सामान्य जन-सेवक तक की सेवाओं का अत्यन्त मार्मिक रूप में स्मरण किया है। अपने बहुत-से सम्माननीय नेताओं के नामों और कार्यों से, हम सब परिचित हैं; लेकिन इसी दुनिया में ऐसे भी लोग हैं, जो चुपचाप अपने सेवा-कार्य में संलग्न रहते हैं और जिनके नाम का कहीं भी उल्लेख नहीं मिलता। गांधीजी ने ऐसे दर्जनों मूक सेवकों को इस संग्रह के लेखों में वाणी प्रदान की है। जहाँ लोकमान्य तिलक, गोखले, आदि सुविख्यात नेताओं को उन्होंने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है, वहाँ निरक्षर बी अम्मा जैसे दर्जनों लोक-सेवकों की महान् सेवाओं को भी बड़े गर्व और गौरव के साथ याद किया है। इस प्रकार उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि जिन्हें छोटा मानकर प्रायः उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाता है, वे वस्तुतः छोटे नहीं हैं और उनकी सेवाओं का भी उतना ही मूल्य है, जितना किसी भी महान नेता की सेवा का। इस दृष्टि से यह संग्रह अद्वितीय है।
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